A-311 कौन कहेगा 22.8.17- 2.00 AM
हुस्न के जब जब चर्चे होंगे
कौन कहेगा प्यार न कर
प्यार की भाषा तेरी मंज़िल
कौन कहेगा इकरार न कर
होंठ रसीले जब टपकेंगे
कौन कहेगा इज़हार न कर
हर चुम्बन जब सिहरन लाये
कौन कहेगा प्यार न कर
नैनों से तीर जब निकलेंगे
तरकश भर इज़हार ज़बर
घायल होकर दिल जो तड़पे
कौन कहेगा प्यार न कर
श्वांसों की गर्मी जो भा जाये
कौन कहेगा इंतज़ार न कर
बाँहों में जो समा जाये सागर
कौन कहेगा प्यार न कर
जुल्फों के साये की ठंडक में
कौन कहेगा आदाब न कर
उसकी उलझन से क्या होगा
कौन कहेगा प्यार न कर
Poet: Amrit Pal Singh Gogia
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