A-319 तेरे पहलू में Poem by Amrit Pal Singh Gogia

A-319 तेरे पहलू में

A-319 तेरे पहलू में 28.9.17- 10.34 PM

तेरे पहलू में आकर दम तोड़ दिया
वो रिश्ता वो नाता सब छोड़ दिया
न रहा मैं न रहा मेरा मुसव्विर कोई
हमने तो हक़ जताना भी छोड़ दिया

मुहब्बत की दास्ताँ किसको सुनाते
अपनों के बीच जाना ही छोड़ दिया
गिले शिकवे तो मीलों बिछड़ गए हैं
हमने तो प्यार जताना भी छोड़ दिया

सारी उम्र न छोड़ेंगे तेरा दामन कभी
ये वायदा था पर निभाना छोड़ दिया
तेरे पल्लू से चिपके रहे हम उम्र भर
उम्र भर का अफसाना भी छोड़ दिया

मज़हब के गीत बहुत गाया करते थे
यूँ तो हमने गुनगुनाना भी छोड़ दिया
हसरतें बहुत थी दिल में अभी बाक़ी
यूँ तो मिलना मिलाना भी छोड़ दिया

एक तमन्ना है तू मिल जाये जो कहीं
तो पूछूँ कि मुस्कुराना क्यों छोड़ दिया
क्या हम एक अदद ही काफी नहीं थे
तो रिश्तों को निभाना क्यों छोड़ दिया

सब्र कर ले 'पाली' फल मीठा होता है
हमने तो भरोसा जाताना भी छोड़ दिया
यूँ ही निकल पड़े थे राह चलते चलते
मंज़िल के डर से जाना ही छोड़ दिया

Poet: Amrit Pal Singh Gogia "Pali"

A-319 तेरे पहलू में
Sunday, October 1, 2017
Topic(s) of this poem: love and friendship,relationships
COMMENTS OF THE POEM
Gajanan Mishra 01 October 2017

beautiful love, manjil ki dar

0 0 Reply
Amrit Pal Singh Gogia 01 October 2017

Thank you so much Gajanan Mishra Ji for your appreciation. You inspire me.

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