आ जाय मौत... Aa Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

आ जाय मौत... Aa

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आ जाय मौत
गुरूवार, १६ अगस्त २०१८

नहीं किया उसने मेरा मारण
मैं ही बना उसका कारण
वो विजय नहीं पा सका
मैंने ही उसे रोका।

में चलता गया आगे
वो मेरे पीछे पीछे
वार करता रहा मुझे गिराने के लिए
में बढ़ता ही गया बिना फ़िक्र किए।

मृत्युँ ने सदैव अपना दबदबा बनाए रखा
पर मैंने उसे दूर ही रखा
मैंने आह्वाहन दिया नजदीक आने के लिए
पर वो क़तराता गया अपनी धाक जमाने के लिए।

"तू रास्ता तो रोक"मैं नहीं हटूंगा पीछे
मेरे आंसू तो लोग पोछेंगे
पर तेरे पर तो फिटकार बरसाएंगे
अपना सारा गुस्सा तेरे पर निकालेंगे।

उसने भी मेरा राज जान लिया
तभी से अकारण पीछा करना छोड़ दिया
मैंभी आश्वस्त होकर जिंदगी बिताने लगा
आ जाय मौत जब भी दिल चाहे

हसमुख अमथालाल मेहता

आ जाय मौत... Aa
Thursday, August 16, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 16 August 2018

उसने भी मेरा राज जान लिया तभी से अकारण पीछा करना छोड़ दिया मैंभी आश्वस्त होकर जिंदगी बिताने लगा आ जाय मौत जब भी दिल चाहे Note: - dedicated to atalji हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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