आध सच ... Aadha Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

आध सच ... Aadha

Rating: 5.0

आध सच
शुक्र्वार, ८ फरवरी २०१९

पूरा देश आज शर्मिंदगी महसूस कर रहा
राजकीय नेता अधूरी रिपोर्ट पर इल्जाम लगाता रहा
सरकारी गुप्त दस्तावेजों का हवाला देकर प्रधानमंत्री को चोर कहा
मानो एक गैरजिम्मेदार व्यक्ति अनाबशनाब बकता रहा।

हमने देखा राजकारण ने इनको कितना बेजवाबदार बना दिया है
जो लोगों की भावनाओ को यूँही दरकिनारकर रहा है
अपनी जबान से बेलगाम हो रहे है
और पता नहीं किसके कहने पर हो रहा है?

यह सुविदित है की हर सौदा बिचौलियों के द्वारा होता था
इस से बिचौलियों को हिस्सा मिल जाता था
पर इस सौदे में सरकार और सरकार के बिच समझौता है
फिर ये पार्टी फ़ालतू बातों का जिक्र कर रही हैं।

पर्दा धीरे धीरे उठ रहा है
रक्षा सचिव ने भी इस बातों से इंकार किया है
वरिष्ठ हवाई अफसर जो इस समौतो में शामिल थे
उन्होंने भीइसका इंकार किया है।

भष्टाचार सब जगह फ़ैल चुका है
इतने साल इन्होने बहुत मजा लुटा है
अब सब चीजे उजागर हो रही है
उनके पाँव तले की जमीं खिसक रही है।

हसमुख मेहता

आध सच ... Aadha
Friday, February 8, 2019
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 08 February 2019

Jocelyn Medina Message

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 08 February 2019

Rima AMir Khan 1 Manage Like · Reply · 1m

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 08 February 2019

welcome sewantilal mehta 1 Edit or delete this Like · Reply · 1m

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 08 February 2019

भष्टाचार सब जगह फ़ैल चुका है इतने साल इन्होने बहुत मजा लुटा है अब सब चीजे उजागर हो रही है उनके पाँव तले की जमीं खिसक रही है। हसमुख मेहता

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
Close
Error Success