आगे बढ़ जाएंगे Aage Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

आगे बढ़ जाएंगे Aage

आगे बढ़ जाएंगे

क्यों बदनाम कर रही हो?
क्यों गुमनाम होए जा रही हो?
प्यार क्या इतना सस्ता है?
क्या सही है जो आपने अपनाया रास्ता है?

प्यार किया ही है तो निभा के दिखाओ
उसूल के पक्के हो तो रंग में रंग जाओ
पीना पिलाना क्या होता है?
जीने का भी तो एक दजंग होता है।

मन को डोलाके रखना
और नशे में डुब जाना।
शायरी करना
और उसमे भांग डालना।

खुद तो गम में डूबा रहना
और दूसरों को अपनी मय्यत में दावत देना।
फिर दुश्वार करना जीना
और हद से बाहर पीना।

हो सकता है में कह दूँ!
बहुत बढ़िया शेर है
पर मन से नकार दूँ
और दिली इंकार कर दूँ।

पिने से गम नहीं काम होता
दुश्वारियां मिलती है सदा
लोग इशारा करेंगे हँसते हँसते
'यही पागल पंछी है' फिर आगे बढ़ जाएंगे कोसते कोसते।

आगे बढ़ जाएंगे Aage
Monday, August 21, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 21 August 2017

पिने से गम नहीं काम होता दुश्वारियां मिलती है सदा लोग इशारा करेंगे हँसते हँसते यही पागल पंछी है फिर आगे बढ़ जाएंगे कोसते कोसते।

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Mehta Hasmukh Amathalal 21 August 2017

पिने से गम नहीं काम होता दुश्वारियां मिलती है सदा लोग इशारा करेंगे हँसते हँसते यही पागल पंछी है फिर आगे बढ़ जाएंगे कोसते कोसते।

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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