आप नही चाहते Aap Nahi Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

आप नही चाहते Aap Nahi

आप नही चाहते

जो तेरा था तो तुजी को अर्पण
हमारातों था पुरा समर्पण
हम तो सो रहे थे नीद रानी की गोद में
थोड़ी सी भी दस्तक ना दी मौत ने ।

नाही शिकायत करेंगे
और नाही विश्वास भी करेंगे
माना की हम सब तेरे शरण में है
हमारी हर ख़ुशी तेरे चरण में है।

एक ही पल में सब उझड़ गया
प्राण पखेरू बन के उड़ गया
किस ने किया होगा ऐसा क्रूर बार!
क्यों लोग हर लेते है जान बारबार।

'गरीबी हमारा मजाक उड़ा रही' कहते रहते हो
फिर भी देते हो अंजाम ऐसी हरकतों को और मारते रहते हो
कौन होते है शिकर आपकी हरकत के?
छोटे छोटे बच्चे, नयी शादी करने वाले और बूढ़े!

अपने ही पाँव पर कुल्हाड़ी से घात करते है
'पैसा उगाही आपका मकसद ही 'उजागर करते हो
'आप मौत के सौदागर' से जाने जाओगे
देश के सामने हिसाब नहीं दे पाओगे।

आप नही चाहते देश का 'नागरिक सुख शांति से रहे'
अमन चेन को कायम रखे और भाईचारा रखे
आप देश के जवानों को अपने निशाने पर रखते हो
और ऐसे मार देते हो जैसे अपने देश को नहीं परखते हो।

पास का दोर जारी रहेगा
उसका नतीजा चाहे कुछ भी आएगा
देश के सामने बहुत चुनॉतीयां है
लोगों को ही सोचना है कैसे लानी है खुशियां!

आप नही चाहते Aap Nahi
Monday, November 21, 2016
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 21 November 2016

पास का दोर जारी रहेगा उसका नतीजा चाहे कुछ भी आएगा देश के सामने बहुत चुनॉतीयां है लोगों को ही सोचना है कैसे लानी है खुशियां!

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
Close
Error Success