अजीज बनके रहना
रविवार, १ जुलाई, २०१८
बहुत यादें लिए पड़े मेरे पाँव
जब नजदीक आ या मेरे पुरखों का गाँव
खेलते थे हम गिल्लीडंडा दांव
हसरत भरी आँखों से देखते थे हम मन के भाव।
यह वही गाँव था
जिस ने हमें सब कुछ दिया था
गाँव का प्यार
लोगों का स्नेह और अच्छा व्यवहार।
में गली में हरख से दौड़ गया
किसी पुराने चेहरे को नहीं ढूंढ पाया
कितने प्यार से मेरे सर पर रखते थे हाथ!
सब का मिला था रिश्तों का संगाथ।
"ये लड़का बहुत आगे जाएगा"मुझे सबकुछ याद है
आज भी ये शब्दमेरे कर्ण में गूंज रहे है
उनको तो कुछ भी लेना देना नहीं था
पर ये अनोखा अपनापन था।
मेरे आँख से दो आंसूं टपक पड़े
ना माँ-बाप है सांत्वना देने के लिए
नाही मेरे अजीज गाँव वाले मेरे साथ ख़ुशी बाँट ने के लिए
कुछ तो मुझे खल रहा है उनकी कमी के लिए।
मन में बहुत कुछ भरा है उगलनेके लिए
नहीं मेरे साथ कोई बांटने के लिए
वो गली, तालाब और स्मशान वहाँ ही है
वहां लगे पेड मुझे कह रहे है"सब खैरियत से है यहां "
मेरी हर यादें उनके साथ जुडी हुई है
मेरी जुबां केहते केहते रुक जाती है
"आप सब तो मेरे ही थे "क्यों चले गए आप सब?
मेरे अजीज बनके कायम रहना अब।
हसमुख अमथालाल मेहता
Roshan Kaul Soulful! Beautifully recounted! All the best to you, Sir! 1 Manage Like · Reply · 1m
मेरी हर यादें उनके साथ जुडी हुई है मेरी जुबां केहते केहते रुक जाती है आप सब तो मेरे ही थे क्यों चले गए आप सब? मेरे अजीज बनके कायम रहना अब। हसमुख अमथालाल मेहता
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welcome rosham kaul 1 Manage Like · Reply · 1m