अलग रिश्ता...Alag Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

अलग रिश्ता...Alag

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अलग रिश्ता
गुरूवार, २७ सितम्बर २०१८

मेरी पहली नजर
में था वाकई में बेखबर
ना जाना था उसे बराबर
बस बन बैठा उसका राहबर ।

वो तो हो जाता है
नहीं समझ मे आता है
भूख नहीं लगती
रात में नींद नहीं आती।

नो दुनिया ही अलग है
उसमे रंग अनेक है
हमें उसे रंगीन बनाना है
जीकर सबको बताना है।

अब आगे हमें देखना है
जीवन का मधुर सपना सजाना है
रहेंगे साथसाथ और गुजारेंगे पल
कल्पना में व्यस्त रहेंगे, सोचेंगे क्या होगा कल।

प्यार का रिश्ता अलग से है
पर मारग एक ही है
सोचेंगे एक और करेंगे भी एक
हम दोनों की होगी एक ही टेक।

हसमुख अमथालाल मेहता

अलग रिश्ता...Alag
Thursday, September 27, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Jagdish Singh Ramána 19 February 2019

*agla rishta - bahut khoob, sir! shaandaar!

0 0 Reply
Pallab Chaudhury 27 September 2018

la-javab... Nicely penned. Thank you for sharing with us.10+

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 27 September 2018

प्यार का रिश्ता अलग से है पर मारग एक ही है सोचेंगे एक और करेंगे भी एक हम दोनों की होगी एक ही टेक। हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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