अंधेरा छटेगा... Andhera Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

अंधेरा छटेगा... Andhera

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अंधेरा छटेगा
शुक्रवार, १४ सितम्बर २०१८

हरी संग करि ले प्रीत
यही है सदियों पुरानी रीत
रोज गाओ भजन और गीत
मस्त रहो बजा के संगीत।

हरी रहेंगे संग सदा
कभी ना आएगी विपदा
बढेगी ख़ुशी और संपदा
करो प्रभु से ये वादा।

सादगी और सदवचन
सत्य के साथ निभाना वचन
यही होगा सही चयन
ख़ुशी के आंसू बरसेंगे नयन।

हरी के नाम की माला जपना
सुन्दर सुन्दर सपना देखना
गरीब की कभी हाय ना लेना
हो सके तो थोड़ा दान कर देना।

प्रभु रहेंगे घटघट
ना रहेगी कोई खटपट
काम होंगे सब फ़टाफ़ट
टलते रहेंगे सब संकट।

जीवन चलेगा, अंधेरा छटेगा
जीवन सुचारु रूप से कटेगा
ना होगा कोई अवरोध के गतिरोध
बहता रहेगा सुख का धोध।

हसमुख अमथालाल मेहता

अंधेरा छटेगा... Andhera
Friday, September 14, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 14 September 2018

जीवन चलेगा, अंधेरा छटेगा जीवन सुचारु रूप से कटेगा ना होगा कोई अवरोध के गतिरोध बहता रहेगा सुख का धोध। हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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