अपनी दस्तक खुद
समय अपनी दस्तक खुद देता है
हर कोई बदलाव अपने हस्तक रखता है
बचपन का सपना हर कोई याद रखता है
समय आने पर यादें ही इंसान जिन्दा रखता है।
हैरानी की कोई बात नहीं
सुन्दर रात कभी रूकती नहीं
चाँद भी बादलो में छुप जाता है
दिन का उझाला अपना जलवा दिखाता है।
सब कोई अपने कलेवर बदल लेता है
जानवर भी करवट बदले खड़ा होता है
अपना जायजा खुदको लेना होता है
इंसान भी इस बात को लेकर चिंतित रहता है।
गुलशन में बहार का मौसम है
हर तरह के फूल मौजूद है
खुशनुमा सुबह और वातावरण में महक है
हम सब प्रकृति के बड़े चाहक है ।
बदलाव बिलकुल जरुरी है
पुराने पत्तो का गिरना बहुत ही आवश्यक है
एक का जाना और दूसरे का आगमन
यही तो है जिन्दगी का आवागमन।
न रखें मन में कोई दुर्भाव इस बदलाव से
सब कुछ ठीक ही होगा अनुभव से
हम ने सुना है और समझा है भवोभव से
कुदरत का एहसान कुबूल किया है सही भाव से।
हम ना होते धरती पर समझने के लिए
आते और मिट जाते सदा के लिए
उत्पत्ति और विनाश अपनी अपनी जगह होते
हम पशोपेश में रहते और आहत ही होते।
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
हम ना होते धरती पर समझने के लिए आते और मिट जाते सदा के लिए उत्पत्ति और विनाश अपनी अपनी जगह होते हम पशोपेश में रहते और आहत ही होते।