अरमान भरा दिल... Armaan Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

अरमान भरा दिल... Armaan

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अरमान भरा दिल
गुरूवार, ११ अक्टूबर २०१८

मिलती नहीं आँखे अगर
तो में रहता हमेशा बेखबर
ना जान पता, ना समज पाता
पर अब तो सब कुछ है सुहाता।

प्यार की है अजीब दास्तान
एक दूसरे कीदेते दुहाई और वास्ता
दिल एक दूजे को बहुत चाहता
और एक दूसरे को अपनी और खींचता।

प्रेम में है शक्ति और आस्था
पर कभी ना खुलकर कह पाता अपनी व्यथा
भरोसा तो है एक दूसरे पर
देते है वादा निभाने का जीवनभर।

नहीं कोई चाहता अलग कभी होना
बिछड़ जाए नसीब से तो आ जाता है रोना
फिर भीगा रहता है पलकों का एक कोना
अकेले में रोना और किसी को नहीं दिखाना।

प्रेम की तड़प सही नहीं जाती
किसी के भी दिल को नहीं सुहाती
हो सके तो इतना दिल से जरूर करना
अरमान भरा दिल किसीका भी कभी ना तोड़ना।

हसमुख अमथालाल मेहता

अरमान भरा दिल... Armaan
Thursday, October 11, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 11 October 2018

प्रेम की तड़प सही नहीं जाती किसी के भी दिल को नहीं सुहाती हो सके तो इतना दिल से जरूर करना अरमान भरा दिल किसीका भी कभी ना तोड़ना। हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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