राइफ़ल Poem by Arvind Srivastava

राइफ़ल

Rating: 5.0

राइफलें
जो किसी पत्ते की खड़खड़ाहट
कि दिशा में
तड़तड़ा उठी थीं
और किसी संकट को टाल देने की
विजय मुद्रा में
चाहता था राइफलधारी मुस्कुराना

जिसे बड़े ही ध्यान से
देख रहा था
पत्ते की ओट से
एक चूहा!

COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success