मनाते हैं हम बाल दिवस, हर वर्ष लगातार ।
कम नहीं होता है पर, बच्चों पर अत्याचार ।
आज भी बच्चे सह रहे, भेद भाव का दंश
निर्धन वंचित शिक्षा से, कुपोषण का शिकार।
कब पाएंगे देश के बच्चे, प्यार भरा संसार?
कब पाएंगे श्रम से मुक्ति व पौष्टिक आहार?
शिक्षा में भेद भाव, धनी-निर्धन, गांव-शहर
कब पाएंगे बाल वृन्द, समता का अधिकार?
- एस० डी० तिवारी
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