Bata De... Bata De Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

Bata De... Bata De

बता दे

में ढूँढू कहाँ
बता दे यहाँ
पाया है सारा जहाँ
पर नहीं तू वहाँ । बता दे

ना है दिल मेरा
ना है पास रिश्ता तेरा
बस ग़ज़ल ही है एक सहारा
मे फिरू फसा बड़े बुरे हाल में बेचारा। बता दे

गंवाना मुझे गवारा नहीं
वैसे तो में आवारा भी नहीं
बस चलता एक राही हूँ
मिल जाए कोई साथ तो बस वहीँ रुक जाता हूँ।. बता दे

कोई पूछे 'फूल क्यूँ खूबसूरत है'?
रंग में भी खूबमूरत है
देखते ही मन को भा जाते है
मन मे विचार उमड़ने लगते है। बता दे

दूर से देखो तो मनभावन है
पास में महक ओर खुश्बु है
दिल को बागबाग करने की उनमे क्षमता है
मानो एक तरह की ममता है। बता दे

बस मैंने तो दिल से बयां कर दिया
मन ही मन आपको अपना बना लिया
अब आप जानो कैसे अपनाना है
अपने दिल को कई समजाना है। बता दे

समजाना मुझे आता नहीं
ना सुन ना मन को भाता नहीं
' प्यार में सब कुछ जायज है' लोग कहते है
मेरे से बार बार पूछते भी है। बता दे

Bata De... Bata De
Tuesday, April 7, 2015
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 07 April 2015

बता दे में ढूँढू कहाँ बता दे यहाँ पाया है सारा जहाँ पर नहीं तू वहाँ । बता दे

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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