बेजोड़ हमेशा रहे है Bejod Hameshaa Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

बेजोड़ हमेशा रहे है Bejod Hameshaa

न जाने कितनी अनकही बातें
कितनी हसरतें साथ ले जायेंगे...
लोग झूठ कहते हैं कि खाली हाथ
आये थे, और खाली हाथ जायेंगे...//अल्पा नेगी

बेजोड़ हमेशा रहे है

ना कोई अपना था
न ही कोई बुलानेवाला था
बस सफर अकेले ही तय करना था
सब कुछ तो पीछे छोड़कर जाना था।

मैंने बोलने के लिए होठ फडफडायें
आँखे छत की और गडाएँ
एकटकी लगाएं काफी सोच लिया
फिर धीरे से आँखों को मूंद लिया।


बारी बारी सब मानसपटल पर आते गए
सब ने बात राखी और सहलाते गए
क्या था उन सबकी बातों का सार?
मुझे सब लगने लगा था बेकार।

कुछ बातें मन में ही घर कर गयी थी
वो मधुर आवाज बार याद दिला रही थी
'क्या मेरे साथ चलोगे जिंदगी के सफर में'?
'क्यों नहीं! में आजीवन साथ रहूंगा हर डगर में' मैंने भी कह दिया था

आज वो भी नहीं है पास सुनने के लिए
हाथ भी नहीं देते पकड़ने के लिए
में गुमनामी में डूबा जा रहा हूँ
सब चीजों को मस्तष्क से बाहर कर रहा हूँ

पर नहीं भूल पाता वो सुनहरे पल
जो मैंने गुजारे थे कल
वो चीख चीख कर मुझे झंझोड़ रहे है
क्यों भूले जा रहे हो 'वो सब बेजोड़ हमेशा रहे है।

बेजोड़ हमेशा रहे है Bejod Hameshaa
Thursday, November 3, 2016
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 08 November 2016

Alpa Negi Mindblowing..👏👏👏👏👏👏 Unlike · Reply · 1 · November 4 at 11: 27am m

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Mehta Hasmukh Amathalal 08 November 2016

welcoem alpa negi Unlike · Reply · 1 · November 4 at 11: 32am

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 03 November 2016

पर नहीं भूल पाता वो सुनहरे पल जो मैंने गुजारे थे कल वो चीख चीख कर मुझे झंझोड़ रहे है क्यों भूले जा रहे हो वो सब बेजोड़ हमेशा रहे है।

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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