Beti बेटी Poem by S.D. TIWARI

Beti बेटी

Rating: 4.5

बेटी

स्वर्ग से आई नन्ही परी तो
उन्माद के आंसू बह निकले
जब रुनझुन करती फिरती थी
आशाओं के आंसू बह निकले
दौड़ कर आती, लिपट जाती जब
प्यार के आंसू बह निकले
पढाई कि जब बात आई तो
महंगाई से आंसू बह निकले
साईकिल को न जो किया तो
मासूम के आंसू बह निकले
जब जब उसको दर्द में देखा
दर्द से आंसू बह निकले
बेटी जब जवान हुई तो
एहसास के आंसू बह निकले
एक बार घर वो देर से आई
माँ के आंसू बह निकले
द्वार पर जब बारात आई तो
खुशिओं के आंसू बह निकले
घर से उसकी बिदाई हुई तो
जुदाई के आंसू बह निकले
पराई हो ससुराल गयी तो
तन्हाई के आंसू बह निकले
फ़ोन पर जब हेल्लो बोली तो
बेताबी के आंसू बह निकले.

- एस डी तिवारी

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