Bhavnayein - A Hindi Poem Poem by Vikas Sharma

Bhavnayein - A Hindi Poem

Rating: 5.0

भावनाएँ

भावनाओं का अथाह सागर
डोलता मेरा मन गागर
कभी उस से प्रेम का भाव
कभी रूठने मनाने का चाव
कभी सच्चे प्यार की आस
कभी कामातुर प्रेम की प्यास
कभी नाराजगी का बोध
कभी बेवजह आता क्रोध
कभी लालच उसके संग का
कभी घायल होना मेरे अहं का
कभी दूरियों का दुःख
कभी नजदीकियों का सुख
कभी उसके ख्यालों में खोना
कभी याद करके उससे रोना
कभी उसे अपने सपनों में तलाशना
कभी यूँ ही उसकी याद में बेवजह मुस्कराना
यह सब क्या है
भावनाए ही तो है
जैसा रहा समय का घटनाक्रम
वैसी रही भावना उस दम
न वह बदली न मैं बदला
बदला तो सिर्फ भावनाओ का सिलसिला
मगर इन भावनाओ में हम बह निकले
और कर लिए एक दूसरे से शिकवे गिले
भावनाओं को अगर सिर्फ भावना समझते
तो यूँ न हम तुम ज़िन्दगी से उलझते.............

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