भोलेपन के राज़ Bholepan Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

भोलेपन के राज़ Bholepan

भोलेपन के राज़

भोलेपन के कई राज़ है
कोई हमारा हमराज़ है
कोई हमेशा नाराज है
पर कोई अजीज भी है।

हम मानते है
कभी उनकी बातों से हँसते है
पर गुस्से में नहीं आते है
प्यार से और धीरे से कह जरूर देते है।

हाँ हम बुद्धू है नहीं
पर वो मानते ही नहीं
जब खुलती है उनकी आँखे
तो सोचते है 'राम रखे उसे कौन चखे '

हम कहते है
वो सुनते है
पर बाज नहीं आते
थक कर सर नीचे कर जाते।

बच्चू इतना मत ऊडो
की अपने को ले डुबो
सन्मान दोगे तो ही मिलेगा
अन्यथा समय खराब ही होगा।

हम ज्यादा समय चुप रहते है
लोगो को ज्यादा सुनते है
जीवन के सुखदुख हमें भाते है
पर जीवन, जीवन ही है उसको निभाते है।

भोलेपन के राज़ Bholepan
Thursday, May 18, 2017
Topic(s) of this poem: poem
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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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