भोर भए
मंगलवार, ५ मार्च २०१९
रात भए सब सो जाए
भोर भए सब उठ जाए
उजाले में जग नहा जाए
सब दिलों में ख़ुशी छा जाए।
यही क्रम सदियों से चला आ रहा
मानवजात को आशीर्वाद दे रहा
सब की हसरत पूरी हो जाए
नाम अपना रोशन कर जाए।
सहनशीलता का गन सब में है
शालीनता से प्रचलित हो जाए
दुःख दर्द बांटकर मानवता महकाए
किसी लालच से अपने को ना भटकाए।
मानवधर्म से बढ़कर कोई नहीं
दुःख में सब भागीदार यहीं
सब को मिलता भोजन और सोना
नहीं कोई करता दुःख को रोना।
प्रभु सुलाता और खुद ही उठाता
सब के दिलों में ख़ुशी भर देता
जैसी करनी वैसी तो है भरनी
मुश्किल में नहीं पड़ती किसीकी जीवनी।
हसमुख मेहता
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प्रभु सुलाता और खुद ही उठाता सब के दिलों में ख़ुशी भर देता जैसी करनी वैसी तो है भरनी मुश्किल नहीं पड़ती किसीकी जीवनी। हसमुख मेहता From