बीते पल का हिसाब
गुरूवार, २८ जून २०१८
ये जिंदगी मेरी है
उसकी बंदगी भी मेरी है
मेरे दिल में यदि राम नही बसते
तो हमारा दिल दूसरों को क्यों कोसते?
डूबने के लिए हजारो कारण हो सकते है
बचने के लिए सिर्फ भगवान् ही बचा सकते है
मन कूड़ा-कचरादान बना हुआ है
तो फिर कदरदान किए बन सकता है।
गुजर गया वो एक पल हो सकता है
आज जो है वो कल नहीं हो सकता है
आनेवाले कल का इंतजार करना होगा
आज जो है उसका स्वीकार करना होगा
कहने का अंदाज अलग होता है
कुछ कहने से लड़ाई का मैदान बन जाता है
समज लो तो समाज को खुशियों की सौगाददे सकते है
जहर फैलादो तो"विषमय"परिस्थिति दे देते हो।
जिंदगी तुम्हारी, अपनी है
मानवता की यही निशानी है
कंठ में जहर है पर हमें"नीलकंठ"बनना है
खुद को जहर नहीं उगलना पर मधुरता को बहाना है।
जिंदगी मधुर तो है ही
पर हमें सुमधुर बनाना है
कोई बुलाए या ना बुलाए
क्यों ना हम रिश्तों के नए चिराग जलाए?
कम मिला है हमें साँसों का साथ
क्यों ना चले हम साथ-साथ?
कल जहां को हम ऐसे ही छोड़ जाएंगे!
अपने बीते पल का हिसाब भी नहीं दे पाएंगे।
हसमुख अमथालाल मेह्ता
welcome prakash dramdhikari 1 Manage Like · Reply · 1m
Prakash Dharmadhikari बहुत सुंदर! 👌 1 Manage Like · Reply · See Translation · 1h
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
कम मिला है हमें साँसों का साथ क्यों ना चले हम साथ-साथ? कल जहां को हम ऐसे ही छोड़ जाएंगे! अपने बीते पल का हिसाब भी नहीं दे पाएंगे। हसमुख अमथालाल मेह्ता