चकनाचूर हो जाएगा
न रख इतना गुमान
और साथ में अभिमान
चकनाचूर हो जाएगा
बाद में खूब पछताएगा
राजा रावन का भी अभिमान न रहा
स्वर्ग में इंद्र ने भी बहुत सहा
अंत में घ्यान हुआ ओ सब ठीक हुआ
येही तो है हमें सीखना हुआ
अभिमान होना चाहिए
देश पर गर्व होना चाहिए
बंधू बांधव सभी तो हमारे है
हम सभी तो भगवान् के प्यारे है
मान भी विद्यमान होना चाहिए
एक परिसीमा तक पालन होना चाहिए
औरत हो या छोटा अदना इंसान
अपना रुख हो सदा बेमिसाल
मान देकर मान को पाओ
अपने दिल को खूब संमजाओ
समरस और क्षमायाचना
बहुत कमाके देते है नामना
मे भी अक्सर सोचता था
सदा अपने में मशगुल और राचता था
पता नहीं घ्यात हुआ की ये सब मिथ्या है
जीवन में संतोष ही एकमात्र चारा है
अभिमान न रहा है और रहेगा
आदमी उसमे हे जीता रहेगा
जब न रहेगा योवन और धनदोलत
फिर लगने लगेगी शामत
रहो अपने में मशगुल
पर न मचाओ कभी शोरगुल
गुलशन में सब एक सरीखे है गुल
क्यों न हम भी जतन करे सब का मूल(मूल्य)
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