चांदकी गोद में समा गया
मुझे आज ना रोको कोई
वहां बस्ता है कोई
जो मेरे दिल के करीब था
मेरा सपना भी अजीब था।
में चाहकर भी अलग ना हो सकी
दिल में रहकर भी महबूबा ना बन सकी
होती अगर मेरी और चाह
तो कभी ना निकलती आह।
मुझे बहुत याद आ रही
मन ही मन में घुटती रही
ना जाने आज में विचलित क्यों हूँ?
दिल में चाह होकर भी विक्षिप्त क्यों हूँ?
किसी अनजान से इतना लगाव?
क्यों है इतना प्रेम और बहाव
ना मेरे पास इसका कोई उत्तर
हमेशा हो जाती हूँ निरुत्तर।
वो तो चांदकी गोद में समा गया
मेरे साथ भी समा बांधता गया
आज मेरा दिल मेरे बस में नही
बस में भी जाके बस जाऊं वही।
x pankaj ranaa Unlike · Reply · 1 · Just now today by
l x baldev ghadadhar Unlike · Reply · 1 · Just now today by
rajesh labana Unlike · Reply · 1 · Just now 53 minutes ago
xRaj Kumar Vishwakarma Bahut hi sunder evam line Unlike · Reply · 1 · 11 hrs 1 hour ago
welcome rajinder sharma raina Unlike · Reply · 1 · Just now 12 Dec by
xmukesh agarwal Unlike · Reply · 1 · Just now 12 Dec
xLata suchak Unlike · Reply · 1 · Just now 12 Dec by
xharish solanki Unlike · Reply · 1 · Just now 12 Dec b
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सावित्री काला सवि bahut sunderabhiyakti Unlike · Reply · 1 · Just now