Corona; Co-कोई Ro-रोड पर Na-ना निकले Poem by Samar Sudha

Corona; Co-कोई Ro-रोड पर Na-ना निकले

"क्या घड़ी ये आन पड़ी, सन्नाटा छाया चारो ओर;

इम्तेहान है ये मुश्किल, स्मा रात दिन है घनघोर।"

"सम्पूर्ण जगत की, जीवन की, है कल्पना अब हमसे;

रखना होगा सब्र, निभाएं ज़िमेदारी अपनेपन से।"

"कुछ पल का भ्रमण कर सकता है वार;

ये वार मिटा सकता है, इंसानियत की आधार।"

"धेर्य हमारा हथियार है, जीत होगी निश्चित;

हर एक का साथ मिले, बीमारी फेली हो चाहे वैश्विक।"

"दें साथ, रहे घर संग परिवार और बचाएं कोरोना का परहार।"

-समर सुधा

Thursday, March 26, 2020
Topic(s) of this poem: disease
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