देश आबाद रहेगा Desh Aabad Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

देश आबाद रहेगा Desh Aabad

देश आबाद रहेगा

मुझे प्यार है अपने वतन से
उसके लोगों से
उनकी रीतभात से
उनकी आदत से।

उनका खाना
शौख से गाना गुनगुनाना
सब से अच्छी तरह पेश आना
मेहमानों का स्वागत करना।

कहाँ है ऐसा भाईचारा?
वतन को बताना प्यारा
हर कोई मर मिटने को तैयार
कोई बोले हरहर भोले तो कोई बोले अल्लाहो अकबर।

उसकी मिटटी में ही है अदभुत खुश्बू
हरबार मर मिटने की जुस्तजु
हम सर कटा सकते है पर हार नहीं मानते
देशदाज है जेहन में जहाँ का अपमान नहीं करते।

हम रखे आत्मचिंतन और करे सामना
ना झुकेंगे और ना करेंगे मना
हमारा बस एक ही नारा रहेगा
प्रेम से ही देश आबाद रहेगा।

देश आबाद रहेगा Desh Aabad
Wednesday, November 30, 2016
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 30 November 2016

welcome gaurav barot Unlike · Reply · 1 · Just now

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 30 November 2016

ojde Marvast Nation of plants Flag of nutrition Earth land Unlike · Reply · 1 · 1 min

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
Close
Error Success