Desh Ko Bachao Poem by anju addanki

Desh Ko Bachao

देखो वतन के लोगों -
कोरोना ने कर दिया हमें विधवा
कहीं होगये अनाथ
कहीं मायें अस्पताल में मौत से लड़ रहे हैं
तो किसीकी कोख उजाड़ गयी ही।
संजोहवतन के लोगों -
अपनी सांस चले
डॉक्टर अपनी सांस खतरे में ढालरहे हैं
अपना घर चले
पुलिस अपनाघर दाव पर लगा रहे हैं.
महसूस करों वतन के लोगों -
अपना देश सुरक्षित रहे सर्कार हर तरफ की कोशिश कर रही है
हम में से कितने लोग अलग अलग तरफ से अनाथ हुऐं है
कहीं अपना देश अनाथ न होजाये?
ओवतन के लोगों -
सर्कार का साथ दे हम सब मिलकर भारत को बचाएँ'
घर में रहीं सुरक्षित रहे
और भारत को सुरक्षित रखे
अपने देश को बचाये।

Wednesday, April 15, 2020
Topic(s) of this poem: corruption
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