दिल बेरंग है
जुदाई का गम अलग होता है
चेहरा हस्ता है पर मन रोता है
कितनी हलचल और कितना बोझ
झेलना पड़ता है हररोझ।
मन सद्दा प्रफुल्लित रखना पड़ता है
अपने आपको स्वच्छ और तरो ताजा महसूस करना पड़ता है
जवाबदारी का वहन मजबूत कन्धा चाहता है
अपने आपको भी कई बार भुलाना पड़ता है।
अकेले में मन कुछ परेशान रहता है
अपनों से दूर रेहनेका अफ़सोस करता है
क्यों मुझे ये वनवास उठाना पड रहा है?
बारबार उनकी याद में उदास सा हो जाता है।
ये चीज़ हैरान करने वाली है ं
मन की उपज मन में ही रेहने वाली है
दूर रहनेवाला भी परेशान और पास वाला भी
शब्द नहीं होते केहने के लिए वैसे रुआंसा हो जाता है कभी कभी दिल भी।
यह चीज़ सिर्फ महसूस होती है
और फट से मायूस कर देती है
दिल खोया खोया सा रहता है
गमगीन और जैसे दीन होने का आभास दिलाता है।
दूर प्रदेश के हाल अलग है
सामने हजार रंग है
फिर भी दिल बेरंग है
दिल सम्हाल के बैठा सबरंग है।
दूर प्रदेश के हाल अलग है सामने हजार रंग है फिर भी दिल बेरंग है दिल सम्हाल के बैठा सबरंग है।
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welcoem manisha mehta Unlike · Reply · 1 · Just now