दिल हो गया Dil Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

दिल हो गया Dil

दिल हो गया

मार मार मार
एक तू ही तो है यार
बाकी सब बेकार
यह है जूठा संसार।

तूने बोला 'मर जा'
मैंने बोला ' मुड जा '
प्रेम इतना आसान नहीं
सब के लिए एक सा नहीं।

ये तो है एक गहरा सागर
सोच लो मगर
जीतने ही डूबते जाओगे
कुछ रत्न जरूर पाओगे।

प्यार में पाना जरुरी नहीं
साथ में रहना भी मश्करी नहीं
पर दिल में उलझन नहीं होना
धरती उगलती रहती है सोना।

रहना मस्त और मगन
ऊपर विशाल है गगन
बस चिड़िया ही नहीं हम भी उड़ेंगे
उसकी ऊंचाई को जरूर से छुएंगे।

ये प्यार का झलझला
क्यों मुझे मुसीबत में डाला?
मुझे क्या पता था इसमें ही प्यास बुझेगी?
संसार की सब चाबी यहाँ मिलेगी।

'प्यार ना करी ओ कोई'
मेरी आँखे डबडबाई
पर इसकी हो तो थी जयजयकार
दिल जो हो गया एकाकार।

दिल  हो गया Dil
Saturday, August 12, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 13 August 2017

Aasha Sharma Bahut khub ji Like · Reply · 1 · 3 hrs Manage

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Mehta Hasmukh Amathalal 13 August 2017

welcoem aasha sharmaa Like · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathalal 13 August 2017

welcome manisha mehta Like · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathalal 12 August 2017

प्यार ना करी ओ कोई मेरी आँखे डबडबाई पर इसकी हो तो थी जयजयकार दिल जो हो गया एकाकार।

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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