दिल तरसता है
शनिवार, १९ जनवरी २०२१
नाराजगी भले ही हो
दिल्लगी भी रखते हो
बार-बार अपना दिल खोल देते हो
और हवा से भी बाते कर लेते हो।
अपना दुखड़ा किसे सुनाओगे?
किसके सामने जाकर गिड़गिड़ाओगे
किसको अपनी दास्तान सुनाओगे?
रोलो दिलभर के पर किसीके दो शब्द नहीं सुन पाओगे।
प्यार का एक अपना अंदाज होता है
उसको सहन करने की शक्ति एक जाबांज ही रखता है
जरुरी नहीं हरकोई अपनी मंजिल पाले
जिवन के हर सुख को भोग ले।
अपना अपना नजरिया है
सबको दरिया विशाल लगता है
हरकोई में उसपार जाने की तमन्ना तो है
पर कैसे जाना वो समाज से परे है।
नादान दिल जिद करता रहता है
अपने आप बाते करता रहता है
'दिल तरसता है ' एक बार तो मिलो
तड़पते दिलको शान्ति तो दो।
मनुष्य दिलकी यही जिघ्नासा है
अंतर्मन की अभिलाषा है
बारबार मनसा प्रकट करता है
निकट जाने को प्रेरित करता है
मानवजात में यही एक उत्कृष्ट कला है
ना जानते हुए भी दूसरे को अपनाता है
एक दूसरे में समाविष्ट हो जाता है
अपनी सोइ हुए चेतना को नष्ट नहीं होने देता है।
डॉ हसमुख मेहता
डॉ साहित्यि
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Glenda Uriarte Adobo Beautiful and lovely amazing post ❤️❤️❤️ · Reply · 14 h