दिन भी कयामत का होगा
आप आये लेके बहार
हमने भी किया आपका फुलहार
दिल से हमे भी था इस बात का इन्तेजार
करते है दिल se हम भी आपका हजारो जुहार।
जीना हमारा सफल हुआ
दिन का उजाला अभी ही हुआ
किरणों ने किया आपका सत्कार
हमने भी कर दिया' शुक्रिया और आभार '..
आदान प्रदान तो होता रहता था
मन भी आपसे मिलता रहता था
कह नहीं पाते थे दिल की बाते
मुश्किल हो जाती थी कटनी राते।
शान्ति का दूत एक बार आके टोडले पर बैठा
मेरा दिल भी कुछ कहने को बेताब हो उठा
कैसे भेजती में, मेरा सन्देश आप तक?
जुत्सु ही बनकर रह जाती थी मुज तक।
घर में सब पुराने उसूलों के रहें
हम भी यूँही आहे भरते रहे
पर दिल कह रहां था रुकरुक कर
बेसब्री से बस उनका तू इंतजार कर।
उनका दावा थाकि जब वो लय में होते है
तब विलय होने के विचार प्रजव्वलित होते है
दशेरा के पर्व पर जब जयघोष होता है
तब मन अपने आप मदहोश हो जाता है
उनका अचानक ही घर पर आ जाना मुझे शुभ संकेत लगा
मेरे दिल में अचानक भय और ख़ुशी का माहोल सचेत होने लगा
पता नहीं क्या सोचकर वो यहाँ आये होंगे?
और तो क्या हो सकता है, बस हाथ ही मांगने आये होंगे!
दरवाजे पर दस्तक मुझे शर्म के मारे पानी पानी कर गयी
बस एक हलकी सी, दबी सी मुस्कान चेहरे पर घूम गयी
वो धीरे से बोले ' स्वयंवर से भी में उठा के ले जाऊंगा'
अबकी बार मना किया तो अपने आपको रोक नहीं पाउँगा
'सनम हम बोलते कम है' पर दिली कमजोर नहीं
आँखे जरूर निचे गड़ाते है पर मजबूर भी नहीं
'मुकाबला बराबर का रहेगा' बरातियों का स्वागत होगा
शाद्दी का पूरा माहोल होगा और दिन भी कयामत का होगा
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