Jamia Millia Islamia 96th Anniversary 2016 Poem by Anjum Firdausi

Jamia Millia Islamia 96th Anniversary 2016

जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली

96th Foundation day

सज के दुल्हन की तरह जामिया तैयार हुई!

उम्र इस की अभी नबबे के फक़त पार हुई!


जितनी होती है पुरानी ये नई दिखती है.!

दिल पे हर शक्स के ये अपनी ज़ुबान लिखती है!

मेरे आबा की निशानी है, मेरी शान है ये!
हिन्द में प्यार की अपनी , मेरी , पहचान है ये!



हर तरफ आज है, खुशयों में ये, डूबी डूबी!
एक क्या लाखों है, इस पाक ज़मी की खूबी!


आज नफरत में भी उल्फत का ये सरमाया है!

वक़्त आया है तो ज़ालिम से ही टकराया है!


सारी दुनियां में तेरे इल्म के शैदाई हैं!

मैं हूं दीवाना तेरा, दिवाने मेरे भाई हैं!



हल्क़ा हल्क़ा तेरे गुलशन का है, आबाद हुआ.....

जो पढ़ाया था मुझे बा खुदा सब याद हुआ!


जो मेरे प्यार में डुबे हो तो आना हो गा!

रहे हक़ क्या है? ज़माने को बताना होगा!



मेरी खूबी कभी अंजुम नहीं लिख पायेगा!

ये वक़्त लफ़्ज़ोन का एक आईना दिखलायेगा!


रचना &
लेखक: - अंजुम फिरदौसी


(ग्रा &पो: -Alinagar, दरभंगा , बिहार)

Thursday, January 5, 2017
Topic(s) of this poem: nazm
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Anjum Firdausi

Anjum Firdausi

Alinagar, Darbhanga
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