फूल जैसा स्वभाव Ful Jaisa Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

फूल जैसा स्वभाव Ful Jaisa

फूल जैसा स्वभाव

मुस्कान जी
मदन गोपाल की हलकी मुस्कान
में थोड़ा मूर्छित सा हो गया
'शोले ' का एक डायलॉग याद आ गया।

दादी वैसे तो वो कभी कभी पि लेता है
पर पीता है तो होश खो देता है
तो आप जो कह रहे है
मेरे मुस्कान मंद मंद बिखेर रहे है।

मिलना सबसे पर करना मन से
बुजुर्गों से तरोताजा होना विचारों से
रहो कहीं भी पर अपने को सम्हाल के रखना
इंसानियत का तकाजा भी यही है की अपने को दोषित नहीं मानना।

अपनी मुस्कान को ज़िंदा रखना
कई नुस्खे है अपने को सब से आगे रखना
अपना उसूल है और अपना ही जीवन
संसार तो है एक उपवन

जवानी भी ढल जाएगी
और आएगी पतझड़ जो पलटेगी
सब ख्वाइशे और लाएगी एक समभाव
आपका भी होगा एक रूतबा खिलेगा फूल जैसा स्वभाव।

फूल जैसा स्वभाव Ful Jaisa
Wednesday, August 30, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 30 August 2017

bhimanyu Singh बहुत ही सुंदर ब्यख्यान है, आप ने सच्च को पंक्तियों में पिरो दिया। Like · Reply · 1 · A few seconds ago Manage

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Mehta Hasmukh Amathalal 30 August 2017

welcome abhimanyu singh Like · Reply · 1 · A few seconds ago

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Mehta Hasmukh Amathalal 30 August 2017

welcome muskan madan Like Like Love Haha Wow Sad Angry · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathalal 30 August 2017

जवानी भी ढल जाएगी और आएगी पतझड़ जो पलटेगी सब ख्वाइशे और लाएगी एक समभाव आपका भी होगा एक रूतबा खिलेगा फूल जैसा स्वभाव।

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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