फूल जैसा स्वभाव
मुस्कान जी
मदन गोपाल की हलकी मुस्कान
में थोड़ा मूर्छित सा हो गया
'शोले ' का एक डायलॉग याद आ गया।
दादी वैसे तो वो कभी कभी पि लेता है
पर पीता है तो होश खो देता है
तो आप जो कह रहे है
मेरे मुस्कान मंद मंद बिखेर रहे है।
मिलना सबसे पर करना मन से
बुजुर्गों से तरोताजा होना विचारों से
रहो कहीं भी पर अपने को सम्हाल के रखना
इंसानियत का तकाजा भी यही है की अपने को दोषित नहीं मानना।
अपनी मुस्कान को ज़िंदा रखना
कई नुस्खे है अपने को सब से आगे रखना
अपना उसूल है और अपना ही जीवन
संसार तो है एक उपवन
जवानी भी ढल जाएगी
और आएगी पतझड़ जो पलटेगी
सब ख्वाइशे और लाएगी एक समभाव
आपका भी होगा एक रूतबा खिलेगा फूल जैसा स्वभाव।
welcome abhimanyu singh Like · Reply · 1 · A few seconds ago
welcome muskan madan Like Like Love Haha Wow Sad Angry · Reply · 1 · Just now
जवानी भी ढल जाएगी और आएगी पतझड़ जो पलटेगी सब ख्वाइशे और लाएगी एक समभाव आपका भी होगा एक रूतबा खिलेगा फूल जैसा स्वभाव।
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bhimanyu Singh बहुत ही सुंदर ब्यख्यान है, आप ने सच्च को पंक्तियों में पिरो दिया। Like · Reply · 1 · A few seconds ago Manage