फूलों का दस्ता Fulon Kaa Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

फूलों का दस्ता Fulon Kaa

फूलों का दस्ता

जिंदगी का नाम ही है जीना
उसी से आगे बढ़ना और सीखना
बचा खुचा रह जाए तो बांट देना
उधार किसी का अपने पर मत रखना।

बस एक ही रखना मकसद
क्रोध और हिंसा के दे देना रुखसद
बनाए रखना हास्य और विनोद
बन जाए जिंदगी एक विशाल श्रोत।

में पीछे क्या होगा?
ये सोचना बेमानी होगा
ना कुछ रुकनेवाला है ना रुकेगा
जिंदगी सिर्फ आपकी ही थमेगा।

'कर ले काम अपने नाम '
ना रहना कभी गुमनाम
मिली है अमूल्य जिंदगी तो बताना होगा
उसको अच्छी तरह जीकर जताना होगा।

जिंदगी निजी नहीं होती कुछ काम के लिए
बस करते जाओ कुछ दान दूसरों के लिए
नाम ही तो होना चाहिए अच्छी बिदाई के लिए
बस बचा के रखना ढाई अक्षर अपने खाते के लिए।

आप के चले जाने के बाद ना सूरज रुकेगा
ना ही चन्दा चांदनी बिखेर ना छोड़ देगा
'वो अच्छे थे ' कहकर दो आंसू जरूर बिखेर देगा
फूलों का दस्ता आपकी याद में जरूर से रख देगा।

फूलों का दस्ता Fulon Kaa
Saturday, May 6, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM

Khushbu Kumari Bahut khub Fulon ka dastan LikeShow More Reactions · Reply · 1 · Just now

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Khushbu Kumari Khushbu Kumari Prnam aadrniy Like · Reply · 1 · Just now

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Hasmukh Mehta maine paheli kavitaa aapki padhi or chunaa Like · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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