प्रश्न अमूर्त Poem by Geet Chaturvedi

प्रश्न अमूर्त

शकरपारे की लम्बी डली को छाँपे चिपकी चीटियाँ हैं
या सन 47 में बँट गई ज़मीन के उस पार से आती ठसाठस कोई ट्रेन

सबसे बड़ा छल इतिहास के साथ हुआ
इतिहास के नाम पर इतिहास के खिलाफ़
याददाश्त बढ़ाने की दवा बहुत बन गईं
कोई ऐसी दवा बनाओ जिससे भूल जाया जाए सब

उस प्रोटॉन की मज़बूरी समझो
जो चाहे जितनी बगावत कर ले
रहना उसे इलेक्ट्रॉन के दायरे में ही है
निरन्तर भटकन की अभिशप्त गति से

अपने ही पानी में डूब गया
कोई बदबख़्त समुद्र

एक दिन जब मर चुकी होगी मेरी भाषा
किस भाषा में पढ़ोगे तुम मेरी भाषा का मर्सिया
इसकी तस्वीर पर टँगे फूल को कहोगे
किस भाषा में कौन-सा फूल?

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Geet Chaturvedi

Geet Chaturvedi

Mumbai / India
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