हाँ में जवाब.. Haan Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

हाँ में जवाब.. Haan

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हाँ में जवाब

मंगलवार, ७ अगस्त २०१८

इश्क़ कोई कीमत नहीं
वो तो हो जाता है यूँही
कोसो को पुछने की हिम्मत नहीं
धुट धुट के मरते सभी यही।

जरुरी नहीं इश्क़ फरमाना
नहीं मिलता किसीको परवाना
चाहत और चाहना में फर्क होता है
जैसे हां और ना में फर्क होता है

बस हावभाव से जान सकते है
उनके दिल के हालचाल ही बता सकते है
आँखे सब कछ बया कर देती है
बस मिले दिल तो बात बन जाती है।

कोई कोई नहीं कह पाते है
बस मन ही मन घुट जाते है
शर्म के मारे चुप हो जाते है
लब्ज जुबाँ पे आते आते रुक से जाते है।

दिली बात केहने से नहीं कतराना
जो है दि सकती है इस से और क्या हो सकता है?
मन ही मन रखने से तो अच्छा केह देना होता है
दिल ही दिल रखने से घुटन महसूस होती है।

कैह देने से ज्यादा ज्यादा क्या होगा?
वो भी अपने मन की बात कह देगा
इंकार करना होगा तो ना कह देगा
वरना हाँ में जवाब दे ही देगा

अपना अपना नजरिया है
कोई भी बेहया नहीं है
सब की प्रेम की किम्मत मालुम है
इस मामले में सब मासूम है।

हसमुख अमथालाल मेहता

हाँ में जवाब.. Haan
Tuesday, August 7, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 07 August 2018

Vijay Kamble LOVELY POST 1 Manage Like · Reply · 1m

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Mehta Hasmukh Amathalal 07 August 2018

Vijaya Singh अति सुंदर 1 Manage Like · Reply · See Translation ·

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Mehta Hasmukh Amathalal 07 August 2018

welcome vijaya singh 1 Manage Like · Reply · 1m

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Mehta Hasmukh Amathalal 07 August 2018

अपना अपना नजरिया है कोई भी बेहया नहीं है सब की प्रेम की किम्मत मालुम है इस मामले में सब मासूम है। हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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