हम दोनों सलामत रहें Ham Donon Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

हम दोनों सलामत रहें Ham Donon

हम दोनों सलामत रहें

अरमान रखो तो आंसू निकलते है
पाँव बार बार फिसलते है
मरने को जी करता है
हर चीज़ से मन डरता है।

नहीं रहती सच्ची वफ़ा
जब किसी को आप करते हो दफा
जिंदगी से जब बहार फेंक देते हो
और उसके अरमान रौंद देते हो।

मन का कहा जरूर करो
पर अपने खयालात पर विश्वास जरूर से करो
वो ही आपके काम आते हैं
बाकी सब छोड़ जाते हैं।

फासले आये ही क्यों?
जब दिल एक हो मंज़िल एक हो
दिल तड़पता हो प्यार में और बार बार यही कहता हो
'हम तो तेरे हो चुके' अब तो जीना मरना यही ही हो।

बंदगी मे बस एक ही दुआ मांगो
जिंदगी का बसर चाहे जितना कठिन हो
किश्ती में सवार हम दोनों सलामत रहें
हम दोनों का प्यार जीवित और अनामत रहें।

हम दोनों सलामत रहें Ham Donon
Friday, November 4, 2016
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 04 November 2016

welcome mukesh agarwal Unlike · Reply · 1 · Just now 21 minutes

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Mehta Hasmukh Amathalal 04 November 2016

xprakash karan Unlike · Reply · 1 · Just now 19 minutes ago

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Mehta Hasmukh Amathalal 04 November 2016

xneelesh purohit Unlike · Reply · 1 · Just now 19 minutes ago

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Mehta Hasmukh Amathalal 04 November 2016

बंदगी मे बस एक ही दुआ मांगो जिंदगी का बसर चाहे जितना कठिन हो किश्ती में सवार हम दोनों सलामत रहें हम दोनों का प्यार जीवित और अनामत रहें।

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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