हमें खल रही
हमारा घर किसी राज महल से कम नहीं था
सपनों से सजा हुआ इंद्र महल था
उधर वो बीराजमान होते थे
हम सब की निगाहों में वो सब से ऊपर होते थे।
हम सब सामान्य आदमी की श्रेणी में आते है
कभी कभी ऐसे ख्याल मन को व्यथित कर जाते है
पर उनकी वाणी में कभी ऐसा हम लोगो ने नहीं देखा
हमारे प्रति वो निखालस रहते और हमने गमगीन होते हुए नहीं देखा।
हम कब बड़े हो गए पता ही नहीं चला
वो भी ढलते गए और ये हमने भी नहीं देखा
बस दुनिया थी हमारी निराली और अलग
पूरा सौंदर्यमय वातावरण और स्वर्ग समान जग।
नहीं उठे वो एक दिन हम सबको बुलांने के लिए
वो चल दिए थे अपने निर्धारित लक्ष्य के लिए
हम सब देखते ही रेह गए अँधेरा छाते हुए
बस खूब छटपटाए बिलखते और रोते हुए।
दिन निकल रहे है
हम भी चंचलता से निपट रहे है
घर का वहन उसी अंदाज से चल रहा है
पर कमी हमें खल रही और सता रही है।
welcome tribhovan panchal Unlike · Reply · 1 · Just now
welcome Jobelyn Dela Cruz Cuenta Unlike · Reply · 1 · Just now
दिन निकल रहे है हम भी चंचलता से निपट रहे है घर का वहन उसी अंदाज से चल रहा है पर कमी हमें खल रही और सता रही है।
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welcoem binit mehta Unlike · Reply · 1 · Just now