हमें उझाला पसंद है Hame Ujhala Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

हमें उझाला पसंद है Hame Ujhala

हमें उझाला पसंद है


सुरजदादा का आगमन
ला देता है अमन
फूल खिलते है चमन
डोल उठता है मेरा मन।

कोयल का धीरे से चुप हो जाना
मूर्घे की बांध का चालू रहना
भँवरे का आघे बढ़कर गुनगुनाना
और फूल को अपना बनाना।

फूल का अंगड़ाई लेना हमें पसंद है
बस समुचित खुश रखता एक आनंद है
उसकी सुगंध हमें प्रफुल्लित कर देती है
प्रकृति की और आकृषित करती है।

ऐसी मनचाही हरकत हमें आश्वश्त कर देती है
उसका मतलब सामने लाकर रख देती है
कर भला तो होगा भुला
हमें क्यों एतराज हो भला?

हम करते रहे नमन
बस ऐसे ही बना रहे सूरज का आगमन
हमें उझाला पसंद है
बस चारोओर खुशनुमा वातावरण मनपसंद है

हमें उझाला पसंद है Hame Ujhala
Thursday, February 9, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 09 February 2017

हम करते रहे नमन बस ऐसे ही बना रहे सूरज का आगमन हमें उझाला पसंद है बस चारोओर खुशनुमा वातावरण मनपसंद है

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
Close
Error Success