हरदम... Hardam Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

हरदम... Hardam

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हरदम
गुरूवार, २४ जनवरी २०१९

प्यार करे जो हरदम, हरदम
उन सबको हो हमारे नमन
जिसके पाँव में ना हो बेड़ियाँ
वो ही पसंद है हमें कुड़ियां।

प्यार की ज्योत सदा जलती रहे
सब के मनको भाती रहे
अपने दिल में गुनगुनाती रहे
सब के दिल को मनाती रहे।

प्यार के है हम सब दीवाने
अपने ही मत के मतवाले
दिल देनेवाले और दिल लेनेवाले
सब के प्यार हको जीतने वाले।

प्यार ही चाह और प्यार ही राह
ना कभी हो हम गुमराह
हम बन जाए किसी के हमदम
इतना तो है हम में दम।

जहाँ भी पड़े पाँव हमारे
आसमान से टपकते सितारे
उझाला ही उझाला होता
प्रेम का नाम अमर होजाता।

हसमुख मेहता

हरदम... Hardam
Thursday, January 24, 2019
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 25 January 2019

Antra Sukhneen 1 Manage Like · Reply · 22h

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Mehta Hasmukh Amathalal 24 January 2019

Bhadresh Bhatt 1 Edit or delete this Like · Reply · 1m

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Mehta Hasmukh Amathalal 24 January 2019

Tum Yang Hang Limbu 15 mutual friends 1 Edit or delete this Like · Reply · 1m

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Mehta Hasmukh Amathalal 24 January 2019

जहाँ भी पड़े पाँव हमारे आसमान से टपकते सितारे उझाला ही उझाला होता प्रेम का नाम अमर हो जाता। हसमुख मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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