जाना है सबने
उड़ान भरने
पर कैसे?
बेमौत मरकर
या शान्ति से जी कर।
जितने दिन मिले है
उनको प्यार से जीने है
उसके पाँव तले यदि आदेश हुआ
तो समझो की आपका भाग्योदय हुआ।
नहीं समझा है आजतक
जीवन से मृत्यु तक
कहाँ रुकेगा काफिला?
किसको कह पाओगे पानी पिला?
हम बढ़ रहे है
विनाश क़ी और कह रहे है
'सत्यम वद ' और कम हो मद
सब को चाहिए मदद।
हम नहीं समझ सके है 'जीवन '
नहीं कोई ला सके प्राण ओर कर सकता तन को 'सजीवन'
ज्यादा नहीं कुछ ही सांस मिली है
मानो संसार में एक बहार खिली है।
हम नहीं संत
और सोचते है कैसे होगा अंत?
संसारी है और संसार ही हमारा साधन
जरुरत होती है यहां मन का समाधान।
मेरी करनी और कथनी एक हो
स्वभाव से मेरा पूरा मेल हो
किसी के साथ कोई ना खेल हो
बस आशा यही सब से सुमेल हो।
मेरा जीना सार्थक
सब होंगे समर्थक़
अंत पर नही है क़ोई रोक
फिर क्यों करे हर कोई शोक?
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स्वभाव से मेरा पूरा मेल हो किसी के साथ कोई ना खेल हो बस आशा यही सब से सुमेल हो। मेरा जीना सार्थक सब होंगे समर्थक़ अंत पर नही है क़ोई रोक फिर क्यों करे हर कोई शोक?