'जब आप हो पूरी तरह बेखबर'
चुप हो जाते हो आप 'जब बात करते करते'
हवा भी थम सी जाती है बहते बहते
मानो रात का सन्नाटा सा छा जाता है
चहलकदमी तो कम पर मुर्दनी सी ला देता है
हम ने सोचा 'बाजी मार ली है'
वो अब पक्की सहेली सी हो गयी है
पर ये क्या मालुम की अँधेरे भी डरावने होते है?
उनकी चुप्पी में भी कुछ मायने होते है
खेर हमें मालूम है 'चाँद सा चेहरा फिर खिल उठेगा'
बदल का आवरण धीरे से फिर हटेगा
वो ही चाँद नजर आयेगा सबके सामने
चाँदनी शीतल सी कर देगी मजबूर फिर झुमने
तारों का टिमटिमाना हलके से
वो भी कह देते है धीरे से
'मुस्कुराते रहना हलके से'
हमारा ठिकाना नहीं 'कब चले जाय यहाँ से'
ये बात मुझे हरबार गंभीर बना देती है
बुरा सोचने पर लाचार सा कर देती है
कई खयाल मन में घर कर जाते है
पर वो है कहाँ आजकल 'हम तो यहाँ ही मर जाते है'
उनका कहना सहज हॉता है
असर इतना लम्बा नहीं महज होता है
हम जानते है उनके खयालात 'मासूमियत से भरे है'
वो सब से अलग और 'चारदीवारी में नहीं है'
में कह देता हूँ चुपक से'अब आपने नहीं जाना है'
अपना घर इस आसमान के नीचे जरुर बसाना है
हवाओं से में कह देता हु 'आपका रुख समाले रहे '
नदी को कह देता हूँ' आपका आइना बनके दिखाते रहे'
करना मैंने वोही है जो आप कहती है
आप नदी का झरना बनके बहना चाहती है
में अक्सर भूल जाता हु आपको सामने देखकर
क्यों न देखता रहू 'जब आप हो पूरी तरह बेखबर'
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