जादू भरी आवाज, कहाँ से लाये ये सनम!
उस आवाज से तू आज मुझे दीवाना कर दे।
गाकर के कोई नगमा, शमा को सुहाना कर दे।
जादू भरी …
निकलती है बजती हुई घुंघरू सी आवाज तेरी,
कर रहे करतल हरे पत्तों सी लहराती है।
लगता जैसे कि बिखरे हों हवाओं में गुलाब,
फैली खुशबुओं से फिजाओं को महकाती है।
उसी आवाज का पिला जाम मस्ताना कर दे। जादू भरी …
उड़ती है परी सी लिए पंख तेरी आवाज धवल,
चाँद छूकर जन्नत से उतरी चली आती है।
मिठास का भी उसकी अंदाज लगाना मुश्किल,
छूते ही कानों में मिश्री सी घुली जाती है।
चांदनी रात का शबनमी पैमाना भर दे। जादू भरी …
संगमरमर की ईमारत का नजारा मुझको,
बंद आँखों से भी बैठे ही दिख जाता है।
फेंकी हुई सासों की तेरी तरंगों से नरम,
इन हवाओं में नया किस्सा सा लिख जाता है।
मद भरी उस कहानी का तू परवाना कर दे। जादू भरी …
आवाज में पाता हूँ तेरी गहराई इतनी,
होकर के मदहोश मैं डूबा चला जाता हूँ।
खींच लेती है चुम्बक सी उन नगमो की कशिश,
यूँ ही खिंचा आँखों को मूँदा चला जाता हूँ।
सुरों में कैद कर अपनों से तू बेगाना कर दे। जादू भरी …
शामिल है मेरी सांसों में कुछ इस तरह से तू,
जिंदगी के पेड़ पर बनकर के लता लिपटी है।
जी रहे तेरी ही बस आवाज के सहारे हम,
जिंदगी मेरी, तेरी आवाज में सिमटी है।
अपने होठों का गाया मुझे तराना कर दे। ये जादू भरी …
- एस० डी० तिवारी
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