जरूर मिलेगा Jarur Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

जरूर मिलेगा Jarur

जरूर मिलेगा

जहर ही मिलेगा
जब तक नफरत नहीं मिटेगा
आपस में समझौता नहीं होगा
जीवन का मतलब समज में नहीं आएगा!


हमने सिर्फ जीना है
और सीखना है
सब से सीख लेना है
भीख में मिले फिर भी अपनाना है।

गाँव भी अछूते नहीं रहे
वहां भी यही माहौल है
लोगों को मुश्केली है
महगाई से परेशानी है।

नहीं मिलता भरपेट खाना
खूब बहाते है पसीना
एक तो बारिश ने अपना रंग दिखलाया है
इंसानो ने भी खूब सितम ढा रखा है।

वहा जातपात का झगड़ा
गरीब का होता है रगड़ा
कोई पूछ नहीं और नाही कोई मदद
सहाय सब बांध या नदारद।

हां, अपने संग इंसानियत का पैगाम लेके जाओ
सबको इसके मतलब भी समझाओ
सबको खाक होना है और मिट जाना है
फिर काहे का यही सब अफ़साना है।

शहद को घोलना है तो मधुमखी बनो
फूलों के संग लेहराओ ओर महोब्बत करो
जरूर बनेगा एक सेतु प्यार का
और तोड़ेगा दिवार नफरत का।

जरूर मिलेगा Jarur
Friday, August 11, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 13 August 2017

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Mehta Hasmukh Amathalal 13 August 2017

welcome manisha mehta Like · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathalal 11 August 2017

Sunita Kumari Bahut Khoob Like · Reply · 1 · 5 mins Remove

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Mehta Hasmukh Amathalal 11 August 2017

welcome sunita kumari Like · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathalal 11 August 2017

शहद को घोलना है तो मधुमखी बनो फूलों के संग लेहराओ ओर महोब्बत करो जरूर बनेगा एक सेतु प्यार का और तोड़ेगा दिवार नफरत का।

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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