जीना तय करना Jinaa Tay Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

जीना तय करना Jinaa Tay

जीना तय करना

जता सकते हो अपना हक़
खूब दिल लगाके करना इश्क़
ये आपकी ही जागीर है
अपने दिल के आप आमिर है।

ना कोई रखना कोई परहेज
और नाही मने कोई कुरेज
दिल लगाना बड़े चावसे
जो भी कहना है कहो अपने मन से।

दिल पर किसी का काबू नहीं
पर होना बेकाबू भी नहीं
यही जिंदगी की जमा पूंजी है
पर मामला आपका निजी है।

जवार भाटा की लहरें बस में नहीं
जो भी हो रहा बस हमेशा है सही
उम्र का यही तकाजा है
आदमी बार बार यही सोचता है नहीं निकलता है।

कोई रोक नहीं कोई टोक नहीं
बस मन शांत और मूक हो यहीं
जो कहना है बस दिल से पूछो
पोछना है तो बस आसुओं को पोंछो।

ना हवा की कोई आन है
नो कोई आग की शान है
दिल के अंदर की आग को शांत करना है
शांति की मनोमन कल्पना और जीना तय करना है।

ना कोई सरहद रोक सकती है
और नाहीं कोई ताकात रोड़ा डाल सकती है
जीना अपने अंदाज़ से और प्यार भी अपने तरीके से
जीना जिंदादिली से ओर ले आना सुसुराल उसके मायके से।

जीना तय करना Jinaa Tay
Monday, December 12, 2016
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 12 December 2016

welcome mithu saha Unlike · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathalal 12 December 2016

रीके से जीना जिंदादिली से ओर ले आना सुसुराल उसके मायके से।

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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