जिन्दगी को सजाना
जिनका नाम जिंदगी है
खुदा की बस एक़ बंदगी है
हम क्यों सोचते है आगे?
क्यों मजबूर होकर हम और कुछ मांगे?
नाही कुछ पाना है
बस आगे चलते जाना है
मिल जाय बंदा अपने सरीखा
तो बना देना है सखा।
बस जिन्दगी से हमें कोई गिला नहीं
जो नहीं मिला है वो किस्मत में नहीं
जब दिल लगा दिया है परवरदीगार से
तो क्यों आस रखे कोई मददगार से?
हाथ खुला रखना है हमें
बस देनेकी ख़ुशी है और कोई तमन्ना नहीं हमें
बाटेंगे खुशियोंका खजाना
बस अब तो है जिन्दगी को सजाना
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