जिंदगी तो मिली Jindgi To Mili Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

जिंदगी तो मिली Jindgi To Mili

जिंदगी तो मिली


जिंदगी तो मिली
पर लगी हमें खाली
कुछ तो था जो हमें परेशान कर रहा था
हमारी आन और शान में रोडे अटका रहा था। जिंदगी तो मिली

हमें लगा अब तो शांति मिलेगी
भगवान को भजने की फुरसत मिलेगी
पर यह क्या? यहाँ तो सर कलम किये जा रहे है
भगवान् का नाम लेने के लिए लोग मारे जा रहे है। जिंदगी तो मिली

हम क्यों ज्यादा सोचने लगे है?
खुद ने जो करना है उसे हम क्यों कर रहे है?
यदि किसी को मारने से जन्नत मिलनी है तो!
जन्नत में भी तो वो ही बैठा है! जिंदगी तो मिली

वो अकेली बैठी आसमान की और देख रही थी
शायद उसे ये मालुम नहीं था वो किसी के बारे में सोच रही थी
प्यार उसे दस्तक दे रहा था
पर साथ में मजबूर भी कर रहा था। जिंदगी तो मिली

'किसे बनाएं अपना साथी' उसी उधेड़बुन में जवानी जोर कर रही थी
लोग भी उसे अपना करने में एड़ी चोटी का जोर लगा रहे थे
उसे लगा 'जिंदगी की नाव' शायद ही आघे बढ़ पायेगी
किसी का साथ मिलने पर ही वो कामयाब हो पायेगी। जिंदगी तो मिली

मुझे नहीं सीखना लोगों से!
मुझे नहीं लड़ना मनोरोगियों से
में जीऊंगी अपने बलबूते पर
दिखा भी दूंगी कैसे जीया जाता है बदलते रिश्तो पर। जिंदगी तो मिली

जिंदगी तो मिली Jindgi To Mili
Tuesday, September 20, 2016
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 20 September 2016

मुझे नहीं सीखना लोगों से! मुझे नहीं लड़ना मनोरोगियों से में जीऊंगी अपने बलबूते पर दिखा भी दूंगी कैसे जीया जाता है बदलते रिश्तो पर। जिंदगी तो मिली

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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