काली रात
ना होती काली रात
तो कैसे बनती बात?
ना बिगड़ती बाजी
और ना होती में राजी!
रही तुम काली
पर दिल से मतवाली
ना किया दिल से गीला
जब से मन प्रीत से मिला।
में रहूंगी सदा आभारी
तूने नहीं पोती कालख सारी
कुसूर मेरा भी था शामिल
अब जो रही है यादें धूमिल।
में नाही कोसती सदा
और नाही रखती सदा
मन मेरा दुखी जरूर है
पर वास्तविकता से दूर है।
तेरा रंग है काला
पर दिल मतवाला
लोगो ने चश्मा है डाला
ऊपर से मैंने भी कह डाला।
माफ़ कर देना दिल से मुझे
जो भी शब्द मैंने कहे
दिल में आडम्बर और गीला नहीं था
पर मन पर लगा एक थोड़ा दिली घात था।
माफ़ कर देना दिल से मुझे जो भी शब्द मैंने कहे दिल में आडम्बर और गीला नहीं था पर मन पर लगा एक थोड़ा दिली घात था।
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welcome............. jay soni Unlike · Reply · 1 · Just now