कौन जानता है
बीता हुआ कुछ नहीं लोटता
सिर्फ चोट पहुंचाता
बस याद बनके रह जाता
फिर एकदम से रुलाता।
वापस क्यों बुलाते हो?
वो पल के लिए क्यों दुखी होते हो?
वो तो एक सुखद सपना था
वो ना ही कभी अपना था।
गरीबी की अपना आलम था
महोब्बत का मौसम था
सब मिलबांट के खाते थे
कभी किसी को नहीं रुलाते थे।
वो दो चार आनी के लिए झगड़ना
फिर हँसके सब ठीकठाक करना
एक ही थाली में मिलकर खाना
फिर ठहाके मारके हंसना।
आज सब कुछ है पर वो नहीं
जो था वो नजर के सामने आता नहीं
कोशिश बहुत करते है पर आशा असफल हो जाती
बहुत मनाते फिर भी सामने नहीं आती।
नहीं आनेवाला लौटके गुजरा पल
हम चल बसेंगे कल
आजका रैनबसेरा ही होगा अपने पास
कौन जानता है कब छूटेगी सांस।
नहीं आनेवाला लौटके गुजरा पल हम चल बसेंगे कल आजका रैनबसेरा ही होगा अपने पास कौन जानता है कब छूटेगी सांस।
Imelda Monserrat Masacupan 6 mutual friends Like Like st now
welcoem Atul P. Soni 20 mutual friends Like · Reply · 1 · 1 hr
welcome Radhey Shyam Varshney 24 mutual friends Like · Reply · 1 · 1 hr Manage
welcome Pankaj akbari Like · Reply · 1 · Just now Manage
welcome navin kumar upadhyay Like · Reply · 1 · Just now
a Nice ink Hasmukh Mehta ji Like Like Love Haha Wow Sad Angry · Reply · 1 · 4 hrs
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नहीं आनेवाला लौटके गुजरा पल हम चल बसेंगे कल आजका रैनबसेरा ही होगा अपने पास कौन जानता है कब छूटेगी सांस।