कहलाता है स्वदेश
अभीतक हम बोलते रहे
बस गुणगान गाते रहे
'भारतमाता की जय' बडे चाव से कहते रहे
पर सिर्फ वो नारा तक ही सिमित रहे ही।
हमने दुश्मनो को बहुत मेजबानी दी
कलाकार की हैसियत से दावत दी
रहने को इजाजत और मेहमाननवाजी भरपूर दी
उन्होंने क्या किया? हमारे को दुश्मन की तरह सिला दी।
कितने सारे जवानो ने अपनी आहुति दी है
क्या ये सोच सिर्फ लश्करी लिबास की ही है!
क्या अपने जीवन का समर्पण उन तक ही है?
ये राजकारणी निजी स्वार्थ के लिए कुछ भी बोल लेते है।
हम उनको बोलने की तक देते है
दिल्ही में रहकर वो लोग जहर उगलते है
क्यों हम उन को ऊँचे पदपर नौकरी देते है?
जब की उनकी जगह गद्दारों की लिस्ट में रहती है।
समय अब आ गया है?
देश में उनकी चाले बेनकाब हो रही है।
जो चीज़ वो सत्तर सालों में नहीं कर पाए!
उसको आज मूर्तिमंत होते देख उनके होश उड़ गए है।
गाओ गुणगान उस माँ के
जिस ने सहन किये है सब जुल्म हँसके
सब को शरण दी है अपने आगोश में
तभी तो कहलाता है स्वदेश सभी की जबान में।
गाओ गुणगान उस माँ के जिस ने सहन किये है सब जुल्म हँसके सब को शरण दी है अपने आगोश में तभी तो कहलाता है स्वदेश सभी की जबान में।
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welcome manju gupta Like · Reply · 1 · Just now Edit