खेल जाते है Khel Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

खेल जाते है Khel

खेल जाते है

जीवन बनाना है
संसार अच्छा चलाना है
पता नहीं कौन कहाँ काम आ जाय
अपने लिए ही सही पर आंसू बहा जाय।

चलता पुर्जा के साथ भी हो लगाव
जिंदगी में सदा चाहिए वहाव
सब आदमी संत नहीं हो सकते
और अपना हाथ छोड़ नहीं सकते।

दिल की कोई किम्मत नहीं
सामने से कहने की किसीकी हिम्मत नहीं
दिल दिया दर्द लिया
पैसा दिया और सुख खोया।

आजकल मित्रता एक बहाना है
मकसद सिर्फ कमाना है
मित्र हो या संभवित पारिवारिक
रखना ध्यान ज्यादा या तनिक।

मित्रता व्यव्हार में नहीं निभानी
ऐसे ही नहीं दे देनी कुर्बानी
ऐसा ना हो की आप कुछ बोलो ही नहीं
धंधा चौपट हो जाए फिर भी समजो ही नहीं।

दोस्ती और संकट
दोनों के भाग्य में है कंटक
अच्छे से निभाओतो पावो में हो जाते है घाव
नहीं निभाओतो वो खेल जाते है दाव।

खेल जाते है Khel
Wednesday, August 16, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 17 August 2017

welcome.......................Madan Nangia Add Friend

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Mehta Hasmukh Amathalal 16 August 2017

Krishan Singla Krishan Singla Ati sunder 11 mins

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Mehta Hasmukh Amathalal 16 August 2017

* हमारी जिंदगी में कभी कभी ऐसे लोग भी मिलते हैं....* जो कभी वादे तो नहीं करते लेकिन दिल से निभा बहुत कुछ जाते हैं... krishan kant

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 16 August 2017

खेल जाते है जीवन बनाना है संसार अच्छा चलाना है पता नहीं कौन कहाँ काम आ जाय अपने लिए ही सही पर आंसू बहा जाय। चलता पुर्जा के साथ भी हो लगाव जिंदगी में सदा चाहिए वहाव सब आदमी संत नहीं हो सकते दोस्ती और संकट दोनों के भाग्य में है कंटक अच्छे से निभाओतो पावो में हो जाते है घाव नहीं निभाओतो वो खेल जाते है दाव।

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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