खूब पैसा है जनता की सेवा में
आँसू बहाने को जी चाहता है
कम्बख्त आजकल कौन मरना चाहता है?
कहाँ दोस्त मिलते है ऐसे जिनके लिए हम मर जाए
किसकी है ऐसी कुर्बानी जिससे हमारा दिल भर आये
चाहत तो बहुत थी मर मिटने कि
कसम खाने की और जिंदादिली दिखाने की
मादरे वतन वोही है पर 'चाहत में फर्क आ गया है'
जान कुर्बान तो कर दे पर फिर उसपर साया सा छा गया है
एहले वतन हम कैसे भूल पाएं तेरा कर्ज?
पर नहीं मिल रहा दुःख दर्द का मर्ज
मिसाल कायम है और हमारा फर्ज भी
हम सुख दुःख भूलकर बनना चाहते है हमदर्द
फिरभी जीना है इन सब दुखों के बीच
करना है अलग से मंथन और रखनी है सोच
जब खेत ही अपनी खेती को खाने लगे
तो फिर किसान को क्यों हम मनाने लगे?
आज ऊँची ऊँची मंझिले खड़ी है
खेतों के लिए उलझन लेके अडी है
किसान पैसे देख रहा है और साथ में बेहाली
फिर आकाश की और देखकर बोलता है'ये कैसी है खुशहाली': ?
जहाँ मर्जी आयी रास्ता बना दिया
जहा जरुरत पड़ी खरीदफ़रोख कर लिया
विधायक भी जेब में और जनता भी
साथ में करदी हालत खस्ता भी
ये सब किसकी देंन है?
क्यों हम आज गरीब और हिन् है?
सब जानते है हम कितने जवाबदेह है?
खूब पैसा है जनता की सेवा में और आरामदेह है
a welcome sunil maheswari a few seconds ago · Unlike · 1
Tanveer Khan nice thought 3 minutes ago · Unlike · 1
2 people like this. Hasmukh Mehta welcomeajay solanki n lalit parihaar a few seconds ago · Unlike · 1
Rajneesh Garg likes this. Hasmukh Mehta welcome a few seconds ago · Unlike · 1
Ramnath Shodharthi ?????? about a minute ago · Unlike · 1
welcoe m kishore kumar a few seconds ago · Unlike · 1
Seen by 13 2 people like this. Hasmukh Mehta welcome satish cha ndra n kishor nikam a few seconds ago · Unlike · 1
Baidya Nath likes this. Hasmukh Mehta welcome a few seconds ago · Unlike · 1
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Narendra Dubey hhhhh badhiya 2 minutes ago · Unlike · 1